न्यूज़ डेस्क: सीबीएसई की 10वीं कक्षा के एक प्रश्नपत्र में कथित महिला विरोधी गद्यांश का मुद्दा सोमवार को संसद में गूंजा। कांग्रेस अध्यक्ष और रायबरेली से सांसद सोनिया गांधी ने इस मुसले पर सदन का ध्यान आकृष्ट करते हुए बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से संबंधित प्रश्नपत्र तत्काल वापस लेने और माफी की मांग की। विपक्ष के कई और दलों ने भी सोनिया का साथ दिया और बाद में इसी मुद्दे पर सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मुद्दे पर सीबीएसई पर निशाना साधा है।
सोनिया गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा कि मैं सरकार का ध्यान 11 दिसम्बर को सीबीएसई की 10वीं कक्षा की परीक्षा के एक प्रश्नपत्र में आए एक अप्रिय और प्रतिगामी सोच वाले अपठित गद्यांश को लेकर देशभर में उपजे आक्रोश की ओर दिलाना चाहती हूं। सोनिया ने गद्यांश का उल्लेख करते हुए अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी उद्धृत किया जिनके अनुसार, ‘‘महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है’’ और ‘‘पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं, जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं। उन्होंने गद्यांश पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि यह शिक्षा के मानकों और परीक्षण में खराब स्तर को दर्शाता है। उन्होंने इसे सशक्त तथा प्रगतिशील समाज के खिलाफ बताया। सोनिया ने कहा कि पूरे मामले की संपूर्ण समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसा कभी नहीं हो। कांग्रेस अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्रालय से पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के मानकों की भी समीक्षा करने की मांग की। इसके बाद कांग्रेस, DMK, IUML, NCP और नेशनल कॉन्फ्रेंस के सदस्यों ने सदन में सरकार से इस विषय पर जवाब की मांग की, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि वह कोई नई परंपरा शुरू नहीं कर सकते। इसके बाद इन दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
इसी मसले पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीबीएसई पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह युवाओं की नैतिक शक्ति तथा भविष्य को कुचलने की आरएसएस और भाजपा की साजिश है। उन्होंने ट्विट किया, ‘‘सीबीएसई के ज्यादातर प्रश्नपत्र अब तक बहुत कठिन रहे हैं और अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में गद्यांश पूरी तरह खराब है। यह युवाओं की नैतिक शक्ति और भविष्य को कुचलने का आरएसएस-भाजपा का षड्यंत्र है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बच्चों, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करो। कड़ी मेहनत का फल मिलता है। कट्टरता से कुछ हासिल नहीं होता।’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी संबंधित प्रश्नपत्र पर आपत्ति जताई थी। प्रियंका ने रविवार को कहा, ‘‘अविश्वसनीय। क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?’’