न्यूज़ डेस्क: केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून वापिस लेने के बाद किसानों की बाकी मांगों को भी मान लिया है और अब आंदोलन खत्म होने के आसार बढ़ गए हैं। अगर दो पेंच सुलझ गए तो बुधवार को किसान विजय मार्च के साथ गांव वापसी कर सकते हैं। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने के लिए आंदोलन समाप्त करने वाली सरकार की शर्त और एमएसपी कमेटी के नामों को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
किसान नेताओं ने कहा कि वे इस मुद्दे पर बुधवार को बैठक करेंगे और उसमें आंदोलन खत्म करने का ऐलान हो सकता है। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने प्रस्ताव में कहा है कि वह एमएसपी की कानूनी गारंटी पर एक समिति गठित करेगी और इस समिति में एसकेएम के अलावा दूसरे किसान संगठन, सरकारी अधिकारी और राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। हमें इस पर आपत्ति है। हमें एमएसपी पर ऐसी समितियां नहीं चाहिए जो शुरू से ही हमारी मांग के विरोध में रही हैं। हमने सरकार से इस पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि हम सरकार की उस शर्त के भी खिलाफ हैं, जिसमें कहा गया कि किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए किसान आंदोलन समाप्त करना होगा। अन्य किसान नेता ने बताया कि मंगलवार दोपहर ये प्रस्ताव मिला फिर बैठक में चर्चा की गई और उसके बाद ही इन आपत्तियों को सरकार को भेजा है। सरकार ने मुआवजे पर सैद्धांतिक मंजूरी दी है तो वहीं किसानों ने मुआवजे के लिए पंजाब मॉडल अपनाने की सलाह दी। बिजली संशोधन बिल न लाने, पराली की धारा हटाने पर सरकार और किसानों के बीच सहमति बन गई है। अजय मिश्रा टेनी को हटाने वाली मांग पर प्रस्ताव में हालांकि शामिल नहीं रही।
किसानों ने कहा कि सरकार बातचीत की टेबल पर आए और पांच सदस्यीय कमेटी से वार्ता के बाद आंदोलन वापसी तय करे। किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों में आंदोलन समाप्ति पर आम सहमति बनी है क्योंकि उनकी लगभग सभी मांगों को मान लिया गया है, लेकिन निर्णय की औपचारिक घोषणा बुधवार को की जाएगी। प्रदर्शन में शामिल 40 से ज्यादा किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद अब बुधवार को आंदोलन समाप्त होने की संभावना है।
प्रस्ताव- एमएसपी की कानूनी गारंटी पर समिति का गठन होगा, समिति में एसकेएम के बाहर के किसान संगठन, सरकारी अधिकारी और राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
किसान- हमें इस पर ऐतराज है। ऐसे लोग कमेटी में नहीं होने चाहिए, जो सरकार के साथ कानून बनाने में शामिल रहे हैं।
प्रस्ताव- किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लिया जाएगा, किसानों को आंदोलन समाप्त करना होगा।
किसान- यह शर्त हटाई जाए, लिखित आश्वासन दिया जाए, राज्यों को निर्देश दिए जाएं।
प्रस्ताव- मुआवजा के लिए सरकार सैद्धांतिक तौर पर तैयार और पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों ने मंजूरी दी है
किसान- हमारी मांग है कि केंद्र सरकार पंजाब मॉडल की तरह मुआवजे की मांग को माने, जिसमें 5 लाख का मुआवजा और एक सरकारी नौकरी का जिक्र है। इससे पीडि़त परिवारों को न्याय मिलेगा। सभी राज्यों के किसानों को जोड़ लिया जाए।
प्रस्ताव- बिजली बिल और पराली पर निकाला जा चुका है समाधान
किसान- यह बिल संसद में न लाया जाए, इससे किसानों की मुश्किल बढ़ेगी और उन्हें ज्यादा बिल देना पड़ेगा। पराली में धारा हटाने को सकार तैयार है।