न्यूज़ डेस्क: लोगों की जिंदगियों पर विभिन्न स्तरों पर असर ड़ालने वाली कोरोना वायरस महामारी ने किसी व्यक्ति के जीने की औसत अवधि यानी जीवन प्रत्याशा तकरीबन दो साल तक कम कर दी है। मुंबई के अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (आईआईपीएस) के वैज्ञानिकों के सांख्यिकीय विश्लेषण में यह बात पता चली है। इस विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में महामारी के कारण पुरुषों और महिलाओं‚ दोनों में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में कमी का उल्लेख किया गया है।
यह रिपोर्ट हाल में पत्रिका ‘बीएमसी पब्लिक हेल्थ’ में प्रकाशित हुई है। आईआईपीएस के प्रोफेसर सूर्यकांत यादव ने यह रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट में कहा गया है‚ २०१९ में पुरुषों के लिए जीवन प्रत्याशा ६९.५ वर्ष और महिलाओं के लिए ७२ वर्ष थी‚ जो २०२० में कम होकर क्रमशः ६७.५ वर्ष और ६९.८ वर्ष हो गई है। अगर शिशु के जन्म के समय मृत्यु की प्रवृत्ति भविष्य में स्थिर रहती है तो किसी नवजात के जीवित रहने की संभावना के औसत वर्ष के आधार पर जन्म के समय जीवन प्रत्याशा की गणना की जाती है।प्रोफेसर यादव के अध्ययन में ‘जीवनकाल की असमानता’ पर भी गौर किया गया और पाया गया कि कोविड़–१९ से ३९–६९ आयु वर्ग में सबसे अधिक पुरुषों की मौत हुई। यादव ने कहा‚ २०२० में सामान्य वर्षों के मुकाबले कोविड़–१९ से ३५–७९ आयु वर्ग में बहुत ज्यादा मौत हुईं और यह समूह जीवन प्रत्याशा में कमी के लिए अधिक जिम्मेदार है।