न्यूज़ डेस्क: दक्षिण अफ्रिका व कुछ अन्य देशों में वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के नए वैरिएंट के सामने आने के साथ ही, राजधानी दिल्ली का आईजीआई एयरपोर्ट पर भी सतर्कता बरती जा रही है। पहले से ही भारत आने वालों के लिए बने गाईडलाइन के साथ ही दक्षिण अफ्रिका व नए वैरिएंट मिले देशों से भारत आने वाले यात्रियों को अनिवार्य रूप से एयरपोर्ट पर स्थित जांच केंद्र में आरटीपीसीआर जांच करानी होगी। जांच के बाद, रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद ही छोड़ा जा रहा है। साथ ही सभी को 7 दिनों का होम क्वारंटीन में रहना अनिवार्य किया गया है।सुकून की बात यह है कि अभी तक मिले जांच नतीजे में किसी भी यात्री के संक्रमित होने की बात सामने नहीं आई है।
एयरपोर्ट सूत्रों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका से नई दिल्ली के लिए फिलहाल कोई भी सीधी उड़ान सेवा नहीं है। अभी दक्षिण अफ्रीका से भारत आने वाले यात्रियों को कनेक्टिंग फ्लाइट लेनी पड़ रही है। ये यात्री राजधानी जोहांसबर्ग से पहले यूएसए के न्यूयॉर्क एयरपोर्ट फिर वहां से दिल्ली पहुंच रहे हैं। इससे सतर्कता के मामले में काफी सहूलियत मिल रही है। क्योंकि जो यात्री दक्षिण अफ्रीका से आईजीआई पहुंच रहे हैं, उन्हें यहां से पहले उन्हें अन्य देश में स्वास्थ्य निगरानी की पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है। ऐसे में गलती की गुंजाइश कम होती है।
इसके बावजूद गाइड लाइन के अनुसार यात्रियों को यात्रा के 72 घंटों के अंदर जांच कराई हुई आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट ऑनलाइन सबमिट करनी है। इसके बाद उन्हें यहां आईजीआई पर आने पर आरटीपीसीआर जांच की जा रही है। इसके बाद यात्रियों 7 दिनों के लिए को होम क्वारंटीन किया जा रहा है। सात दिनों के दौरान कोरोना से जुड़ा कोई लक्षण नजर आए तो यात्री को 14 दिन के बाद फिर से जांच करानी होगी। जांच के नतीजों से नजदीकी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र को अवगत कराना होगा। ऐसे यात्री जिन्होंने आठवें दिन जांच कराई हो और निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद भी उन्हें आगामी 14 दिनों तक अपने स्वास्थ्य पर स्वयं नजर रखनी होगी।
लक्षण पाए जाने पर यात्री के जीनोम सिक्वेंसिंग की भी होगी जांच
इधर वैसे यात्री जिनके दिल्ली पहुंचने पर हुई जांच में किसी प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं, तो उनका अनिवार्य रूप से जीनोम सिक्वेंसिंग की भी जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही उन्हें इंस्टीट्यूशनल क्वारंटीन में 14 दिनों के लिए केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में भेज दिया जाएगा। जहां उनकी आगे की जांच के साथ ही उनके संक्रमण के लक्षणों पर नजर रखी जाएगी। ताकि यह पता किया जा सके कि वायरस के किस वैरिएंट से संक्रमण हुआ है।