न्यूज़ डेस्क: छठ महापर्व का आज तीसरा दिन है, आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही अगले दिन यानि 11 नवंबर को उगते हुए सूर्य को भी अर्घ्य देने के साथ इस पर्व का समापन होगा। इन दोनों ही दिन सूर्यदेव की पूजा और उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। भगवान सूर्य पंचदेवों में से एक कहे जाते हैं और रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से धर्म लाभ के साथ सेहत को भी बहुत फायदा मिलता है। ज्योतिष की मानें तो अनुसार छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव के 12 नामों का जाप किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से सूर्य देव की तरह ही जातकों की किस्मत भी चमक उठती है।
इन बातों का रखें ध्यान
— सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय बर्तन चांदी, ग्लास या प्लास्टिक का नहीं होना चाहिए।
— छठ पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर अलग से ही पकाना होता है।
— व्रतियों को बेड पर नहीं सोना चाहिए। उन्हें फर्श पर चादर बिछाकर सोना चाहिए।
इसलिए दिया जाता डूबते सूर्य को अर्घ्य
माना जाता है कि शाम के समय सूर्य देव अपनी अर्धांगिनी देवी प्रत्युषा के साथ समय बिताते हैं। यही कारण है कि छठ पूजा में शाम के समय डूबते सूरज को अर्घ्य देते हुए, उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्रत करने की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।