न्यूज़ डेस्क: एक मामला सामने आया है जिसमें क्राइब्रांच में प्रोस्टेड एक पुलिस के एसीपी रैंक के अधिकारी ने तीन केस में वांटेड आरोपी, जिसके खिलाफ लुकआउट नोटिस (एलओसी) जारी था को न सिर्फ गिरफ्तारी से राहत दी है। बल्कि उसे देश यूके फरार होने में भी पूरी मदद की है। विजिलेंस जांच में इस मामले का खुलासा होने के बाद डिशनल सीपी आरके पांडेय ने एसीपी विजय चंदेल को क्राइम ब्रांच से तुरंत किसी गैर संवेदनशील पोस्ट पर ट्रांसफर करने और एसआई सुधीर राठी व रविंद्र को निलंबित करने का आदेश दिया गया है।
गौरतलब हो कि तीन केस में वांटेड आरोपी सुनील दत्त यूके की नागरिकता मिली हुई है। वह 18 अक्टूबर को भारत आया था, पर इन पुलिस कर्मियों ने उसे गिरफ्तार करने के बजाय उसे देश छोडऩे में मदद दी, जिसका फायदा उठाकर वह एक नवंबर को देश छोडक़र वापस यूके फेरा हो गया।
जानकारी के अनुसार आरोपी सुनील दत्त की पत्नी ज्योति दत्त ने 21 अक्टूबर को पश्चिमी जिला के पंजाबी बाग थाने में शिकायत देते हुए सूचित किया था कि उसके पति ने आईजीआई एयरपोर्ट पर गलत सूचना दी है कि वह 14 दिनों के लिए अपने पंजाबी बाग स्थित घर पर क्वारंटीन में रहेगा। वह कोविड-19 टेस्ट में पोजिटिव मिलने के बावजूद रिश्तेदारों व दोस्तों से नियमित बिना प्रोटेक्शन मिलता रहा। शिकायत मिलने पर पंजाबी बाग पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोविड प्रोटोकॉल को तोडऩे और गलत सूचना देने के मामले में मामला दर्ज कर लिया। इधर पुलिस को आरोपी की पत्नी द्वारा सूचना मिली की आरोपी अब छुपकर देश छोडऩे की तैयारी में है। पर इस सूचना के बावजूद पुलिस ने न ही एलओसी जारी और न ही उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की। बल्कि आरोप है कि मिलिभगत कर उसे देश से भागने में मदद दी।
शिकायत पर शुरू की गई थी विजलेंस जांच
शिकायत पर दिल्ली पुलिस विजिलेंस सेल के एडिशनल सीपी विजिलेंस आर. के. पांडेय के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच शुरू की गई। विजिलेंस टीम द्वारा की गई जांच में पूरा मामला सामने आया इसमें मिली भगत के साथ ही दोनों के बीच एक समझौता की भी जानकारी मिली। इसके अनुसार एसीपी ने आरोपी से समझौता किया था कि रिटायरमेंट के बाद आरोपी उन्हें यूके में सेटल होने में अर संभव मदददेगा। इस जांच रिपोर्ट के बाद गत 21 दिसंबर को एडिशनल सीपी विजिलेंस ने एसीपी विजय चंदेल को क्राइम ब्रांच से किसी गैर संवेदनशील पोस्ट पर ट्रांसफर करने, एसआई सुधीर राठी और रविंद्र को निलंबित करने की अनुशंसा की थी। साथ ही डीसीपी स्पेशल सेल जसमीत सिंह को इस पूरे मामले की विस्तृत जांच करने का जिम्मा सौंपा गया। इसके अलावा एसीपी विजय चंदेल और दोनों एसआई 15 दिनों में अपना जवाब उनके समक्ष देंगे। कथित बिल्डरों की मिलीभगत से झूठा मामला दर्ज करने में भी पुलिस अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए। वैसे इस मामले में दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है। जब इस मामले में दिल्ल पुलिस प्रवक्ता डीसीपी चिन्मॉय बिश्वाल से बात करने की गई तो उन्होंने ऐेसे किसी मामले की जानकारी होने तक से इनकार कार दिया।