पिपरौली (ज्वाला निगम): पिपरौली कस्बे में चल रहे शतचंडी महायज्ञ के आखिरी दिन श्रीमद् देवी भागवत पुराण कथा के अन्तिम दिन कथा व्यास मधुसूदनाचार्य ने तुलसी शालिग्राम विवाह के प्रसंग कथा का उपस्थित श्रोताओं को रसपान कराया।
कथा व्यास मधुसूदनाचार्य ने कहा प्राचीन काल में जलंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ बड़ा उत्पात मचा रखा था। वह बड़ा वीर और पराक्रमी था। उसकी वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह विजयी बना हुआ था। जलंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गए और रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया।
वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। जिस जगह वृंदा सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। विष्णु ने कहा, हे वृंदा, यह तुम्हारे सतीत्व का फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा। शालिग्राम और तुलसी का विवाह भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का ही प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।
तुलसी एवं शालिग्राम का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व है।
श्रीमद् देवी भागवत कथा मे तुलसी एवं शालिग्राम का विधि विधान वैदिक मंत्रोच्चारण के द्वारा विवाह मनाया गया।
कथा के दौरान मीरचंद निगम, मातादीन निगम, संतोष निगम, राजेश निगम, प्रेमपाल गुप्त, रिंकू, उमेश, सर्वेश, रवि, अरविंद गुप्ता सहित सैकड़ों श्रोता गण उपस्थित रहे।
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