न्यूज़ डेस्क: उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे लेकर सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. उनकी कोशिश समाज के हर वर्ग को साधने की है. इसी कड़ी में आधी आबादी कही जाने वाली महिलाओं के वोट बैंक पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
कांग्रेस के ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान शुरू करने के बाद से आधी आबादी चर्चा में आ गई है. सभी दलों की नजरें उन पर टिक गई हैं. प्रयागराज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 21 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम को इसी से जोरकर देखा जा रहा है. वहीं, अब बहुजन समाज पार्टी की मायावती भी महिलाओं के वोट बैंक को हासिल करने की कोशिश में जुट गई है.
मायावती ने ट्वीट कहा, देश में लगभग आधी आबादी महिलाओं की है किन्तु वे अभी भी काफी अधिकारों से वंचित हैं, जबकि उन्हें कानूनी अधिकार देकर सशक्त बनाने हेतु बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर का काफी योगदान रहा है. अब बीएसपी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलने वाली पार्टी है.
बसपा प्रमुख ने कहा, कांग्रेस और भाजपा आदि दलों की महिलाओं के सशक्तीकरण के प्रति लगभग एक जैसी ही धारणा है. इनका रवैया ज्यादातर दिखावटी ही होता है. जबकि बीएसपी सरकार में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक आत्मनिर्भरता हेतु काफी प्रयास किए, जिनको अब विरोधी पार्टियां भुना रही हैं.
मायावती ने कहा, महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने में कांग्रेस की तरह भाजपा भी गंभीर नहीं है. लोकसभा व विधानसभाओं में उनके लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का मामला वर्षों से लम्बित पड़ा होना इसका जीता-जागता प्रमाण है. इनका यह आरक्षण जरूर लागू होना चाहिए, बीएसपी की यह मांग है.
बसपा प्रमुख मायावती ने 23 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में पार्टी मुख्यालय पर बैठक बुलाई है. इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. उम्मीद जतायी जा रही है कि इस बैठक में महिलाओं को लेकर मायावती कोई बड़ा ऐलान कर सकती हैं. इस बैठक में प्रदेश के सभी 75 जिलों के जिलाध्यक्षों को बुलाया गया है.