न्यूज़ डेस्क: संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की कांग्रेस की कोशिशों को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), शिवसेना व एनसीपी ने तगड़ा झटका दे दिया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की आज बुलाई बैठक में न तो टीएमसी शामिल होगी और न ही शिवसेना व एनसीपी के सदस्य पहुंचेंगे। इनके अलावा वाईएसआर कांग्रेस, बीजद, टीआरएस भी बैठक में शामिल नहीं होंगे।
टीएमसी की गैरमौजूदगी को कांग्रेस से बिगड़ते रिश्तों के रूप में देखा जा रहा हैं, कांग्रेस के कई नेताओं के टीएमसी में शामिल होने के बाद पार्टी की ओर से ममता बनर्जी और टीएमसी पर सीधा निशाना साधा गया है। वहीं ममता बनर्जी ने इस बार दिल्ली दौरे के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात से भी परहेज किया था।
कांग्रेस ने कहा कि यह तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को फैसला करना है कि वह संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उठाए जाने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए उसकी ओर से आहूत विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में शामिल होना चाहती है या नहीं।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह पार्टी की परंपरा है कि हर सत्र से पहले विपक्ष का नेता हर किसी को बुलाता है। बहरहाल, अगर किसी को लगता है कि कांग्रेस से हाथ मिलाने पर उन्हें सरकार के विरोधी के तौर पर देखा जाएगा तो उन्हें ऐसा करने की जरूरत नहीं है।
एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस ने कहा था कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार की सुबह बुलाई गई बैठक में उसके ‘शामिल होने की संभावना नहीं है।’ खड़गे ने सत्र के दौरान विपक्षी दलों के बीच एकता और सामंजस्य सुनिश्चित करने के लिए बैठक बुलाई है।
चौधरी ने कहा, ‘जो कोई भी आना चाहता है (बैठक में) वह आ सकता है। अगर कोई नहीं आना चाहता तो यह उसकी इच्छा है। कोई बाध्यता नहीं है। यह संसद की परिपाटी है और कांग्रेस उसी परिपाटी के अनुसार चलती है।’ उन्होंने कहा, ‘यह टीएमसी पर निर्भर करता है कि वह शामिल होती है अथवा नहीं।’