न्यूज़ डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया। एजेंसी के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। जब यह घोटाला हुआ था, उस समय चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे। चटर्जी को जांच के सिलसिले में करीब 26 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया गया।
चटर्जी वर्तमान में उद्योग मंत्री हैं। उन्हें साल्ट लेक इलाके में स्थित सीजीओ कॉम्प्लेक्स में प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय ले जाया गया। ईडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘चटर्जी शुक्रवार सुबह से उनसे पूछताछ कर रहे हमारे अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे। उन्हें दिन में एक अदालत में पेश किया जाएगा।’
अधिकारी के मुताबिक, ईडी ने चटर्जी की करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के एक परिसर से 21 करोड़ रुपये नकद राशि जब्त किए जाने के बाद उन्हें भी हिरासत में ले लिया।
इसके पहले प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की एक टीम ने कथित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच के सिलसिले में शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के 2 मंत्रियों- पार्थ चटर्जी और परेश अधिकारी के घरों पर छापेमारी की।
अधिकारियों ने शहर के जादवपुर इलाके में स्थित पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के आवास पर भी छापेमारी की। पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर ई.डी. की छापेमारी के दौरान 20 करोड़ की नकदी बरामद की गई।
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.) ने छापेमारी को राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने की भाजपा नीत केंद्र सरकार की ‘चाल’ बताया। पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा कि यह टी.एम.सी. के नेताओं को परेशान करने व डराने-धमकाने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है। भाजपा ने धनशोधन का मामला गढ़ा है।
हालांकि, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘टी.एम.सी. नेताओं और उनके करीबी लोगों ने लाखों योग्य युवाओं को धोखा दिया और गैर-पात्र लोगों को उनकी नौकरी दे दी। सी.बी.आई. और ई.डी. सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। इस ताबूत से कई और कंकाल बाहर निकलेंगे। भाजपा की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है।’