न्यूज़ डेस्क: जेएनयू में 2016 से 2022 तक कुलपति रहे प्रो. एम जगदीश कुमार यूजीसी अध्यक्ष के तौर पर अपनी पहली प्राथमिकता नई शिक्षा नीति का शीघ्रता से लागू करना मानते हैं। उन्होंने कहा कि एनईपी को लेकर वह यूजीसी अधिकारियों व शिक्षा मंत्रालय से संवाद कर इसका वर्कआउट प्लान तैयार करेंगे। जिसको लागू किया जा सके। इससे पहले संबंधित हितधारकों से भी प्रतिक्रियाएं ली जाएंगी। इसके अलावा वह संबंधित हितधारकों के साथ बैठकर शिक्षा क्षेत्र में संस्थानों द्वारा फेस की जा रहीं चुनौतियों को समझेंगे। जिसके बाद उनका समाधान निकाला जाएगा।
शिक्षा को नॉलेज इकोनॉमी बनाने की जरूरत
कुमार ने कहा कि आज के डिजिटल युग में हमारी शिक्षा को अब नॉलेज इकोनॉमी बनाने की जरूरत है। हमें शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को और अधिक क्षमतावान बनाना है। शिक्षा में 11.86 फीसद बजट बढ़ोत्तरी की सराहना करते हुए कुमार शिक्षा क्षेत्र में और फंडिंग की वकालत करते हैं। कुमार ने हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) पर कहा कि यूजीसी, एआईसीटीई जैसे निकायों का इसमें विलय कर दिया जाएगा। जोकि मंत्रालयों व उद्योंगे के साथ मिलकर अनुसंधान को फंड कर करने पर जोर देगा। इसके अलावा राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान भी रिसर्च फंडिंग के क्षेत्र में काम करेगा। जेएनयू में हुई घटनाओं पर उन्होंने कहा कि 2020 में मुझ पर हमला किया गया लेकिन मैं अपने ड्राइवर के कारण सुरक्षित रहने में सफल रहा। छात्रों सवाल करना उन्हें अ’छा लगता है। कुमार ने कहा कि मांगो को लेकर धरने या प्रदर्शन से उन्हें कोई ऐतराज नहीं है लेकिन यह हमेशा कानूनी जद में अहिंसात्मक तरीके से होना चाहिए।
कॉमन एंट्रेस टेस्ट 12वीं छात्रों के लिए प्रदान करेगा दाखिले के अवसर
डिजिटल एजुकेशन पर उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे छात्र डिजिटल टूल सीख रहे हैं वैसे-वैसे एक इकोस्सिटम बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि 300 मिलियन छात्रों में 40 मिलियन छात्र उच्च शिक्षा में हैं। जिसमें एडमिशन प्रक्रिया, सेमेस्टर पंजीकरण, डिग्री रजिस्ट्रेशन लेकर तमाम चीजें उन्हें ऑनलाइन ही करनी होती हैं। डिजिटल यूनिवर्सिटी भी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा व डिग्री प्रदान करेगा जिससे वह रोजगार प्राप्त कर सकेंगे। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट पर उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा के अंकों पर दाखिला प्रक्रिया में कई चुनौतियां हैं। क्योंकि देश में बहुत सारे बोर्ड्स हैं जिनके अलग-अलग मानक हैं। कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से यह प्रक्रिया सहज बनेगी और बच्चों को विभिन्न विश्वविद्यालयों में दाखिले का अवसर मिलेगा।