न्यूज़ डेस्क: विपक्ष का करीबी बनकर मलाई खाने के लिए क्या चाहिए ? इस सवाल का एक ही जवाब है कि मोदी विरोध। मोदी विरोधी हैं, तो विपक्ष आपको गोद में बिठाने के लिए तैयार है। इसी कड़ी में नया नाम जुड़ा है जवाहर लाल सरकार का। जवाहर लाल पूर्व आईएएस हैं और गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं, लेकिन अब उन्हें राज्यसभा भेजने जा रही है ममता बनर्जी की टीएमसी। जी हां, जवाहर सरकार पश्चिम बंगाल कैडर में आईएएस रहे। काफी समय तक राज्य में उन्होंने बड़े पदों पर काम किया। फिर केंद्र में पहुंच गए।
मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान भी अहम पद पर रहे। बाद में प्रसार भारती के सीईओ का काम संभाला। 2014 के बाद अब वह सोशल मीडिया पर मोदी विरोध का झंडा लहराते फिरते हैं। जवाहर लाल सरकार के इसी मोदी विरोध के बदले उन्हें अब ममता बनर्जी तोहफे से नवाजने वाली हैं। ममता अब जवाहर को राज्यसभा की वह सीट देंगी, जो दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे से खाली हुई है।
जवाहर सरकार के गांधी परिवार के करीबी होने के बावजूद अब तक पार्टी ने उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी। माना जा रहा है कि ममता की ओर से राज्यसभा भेजे जाने के बारे में कहे जाने पर उन्होंने गांधी परिवार की जगह टीएमसी में अपने को फिट करने की तैयारी की। देखना ये है कि जवाहर सरकार के ममता के पाले में जाने पर कांग्रेस के खेमे से कोई आवाज आती है या नहीं और बीजेपी की क्या प्रतिक्रिया होती है।
बहरहाल, राज्यसभा पहुंचकर अब जवाहर लाल सरकार मोदी विरोध के अपने एजेंडे पर खुलेआम सबके सामने राय रख सकेंगे। यही क्वालिटी ममता बनर्जी अपने सांसदों में हमेशा तलाशती रही हैं। टीएमसी ने इसका ऐलान करते हुए बताया है कि जवाहर सरकार 42 साल तक आम जनता की सेवा में रहे और पार्टी को उन्हें राज्यसभा भेजते हुए बहुत खुशी हो रही है।