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Thursday, March 28, 2024

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जनसंख्या नियंत्रण पर संसद में निजी विधेयक पेश, कहा- 30 साल बाद नहीं बचेंगे संसाधन

न्यूज़ डेस्क: जनसंख्या में लगातार हो रही वृद्धि पर चिंता जताते हुए राज्यसभा में शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के नेता सदस्य राकेश सिन्हा ने एक निजी विधेयक पेश करते हुए कहा कि यदि आबादी को नियंत्रित नहीं किया गया तो 30 साल बाद सम्मानजनक जीवन जीने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं रहेंगे। भाजपा के ही विकास महात्मे ने विधेयक से दंड के प्रावधान को हटाने की मांग की।

भाजपा से संबद्ध मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा ने निजी विधेयक ‘जनसंख्या नियमन विधेयक’’ 2019 चर्चा के लिए रखते हुए कहा कि यह अत्यंत संवेदनशील विषय है और समय समय पर सभी दलों ने इस मुद्दे पर चिंता जाहिर करते हुए आबादी नियंत्रण के लिए निजी विधेयक सदन में पेश किए। सिन्हा ने कहा कि 1901 से लेकर 2011 तक हमारी आबादी 110 करोड़ बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की 17 प्रतिशत से अधिक आबादी भारत में है जबकि हमारे पास मात्र 4 प्रतिशत पानी और 2.4 प्रतिशत जमीन है।’

उन्होंने कहा कि जिन संसाधनों के आधार पर हम सम्मानजनक जीवन जीने की कल्पना करते हैं और जीते हैं, उनके आधार पर हमें जनसंख्या के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि 1996 में जनसंख्या और संसाधनों को नापने के लिए ‘ग्लोबल हेक्टेयर’ फार्मूला आया जिसे दुनिया ने स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि यह फार्मूला जमीन और पानी को आबादी से जोड़ता था। सिन्हा ने कहा, ‘आबादी नियंत्रित करने के लिए अलग अलग देशों में अलग अलग उपाय हुए। उन्होंने कहा कि भारत में भी उपाय किए गए, लेकिन हमारे यहां जनसंख्या का मुद्दा सांप्रदायिकता में भी उलझा। दुर्भाग्य की बात है कि इस पूरे विमर्श पर गहन विचार मंथन करने के बजाय इसको भटकाने का प्रयास किया गया जबकि स्थिति को देखते हुए संकीर्णता से ऊपर उठना चाहिए।’

विकास महात्मे ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि देश में आबादी के नियंत्रण की जरूरत है लेकिन उन्होंने विधेयक से दंड के प्रावधान को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि दंड के प्रावधान के तहत अगर दो बच्चों के बाद किसी परिवार को दंडित किया जाता है तो समस्या पैदा होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे को लगेगा कि वह ‘अवांछित बच्चा’ है और ऐसी स्थिति देश के लिए खतरनाक हो सकती है।

उन्होंने हालांकि कहा कि यह विधेयक जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए नहीं बल्कि उनके विनियमन के लिए है। उन्होंने कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो वह काफी पीछे रह जाएगा। उन्होंने आशंका जतायी कि नयी स्थिति में लड़के की चाह में बालिका भ्रूण हत्या के मामले बढ़ सकते हैं। उन्होंने गर्भनिरोधकों के बारे में जागरूकता फैलाने और महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की जरूरत पर बल दिया।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सदस्य अमी याज्ञनिक ने कहा कि इस विधेयक के प्रावधान मानवाधिकार और मानव विकास के सिद्धातों के विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर हम कई देशों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लाए जाने की कोई जरूरत नहीं थी और सरकार को मौजूदा व्यवस्था को दुरूस्त करना चाहिए ताकि लोगों को अधिक सुविधाएं मिल सकें। विधेयक को प्रकृति के खिलाफ बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे संवदेनशील तबके की अनदेखी कर लाया गया है।

आईयूएमएल सदस्य अब्दुल बहाव ने कहा कि जनसंख्या पर नियंत्रण बलपूर्वक नहीं होना चाहिए और सरकार को शिक्षा के प्रसार पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम सहित विभिन्न वर्गों को शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए। विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस सदस्य एल हनुमंतैया ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि यह विधेयक किसी को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों सहित विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य एवं अन्य सुविधाएं बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि चीन ने कई साल पहले आबादी पर काबू पाने के लिए ऐसी ही पहल की थी लेकिन उनकी जनसंख्या नीति नाकाम हो गयी।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की फौजिया खान ने कहा कि जनसंख्या पर नियंत्रण अच्छी बात है लेकिन इसके पीछे कोई अन्य मकसद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में जनसंख्या में वृद्धि की दर चिंताजनक नहीं है और धीरे- धीरे इसमें कमी आ रही है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के प्रावधानों से उन वंचित वर्गों की परेशानी और बढ़ जाएगी जो पहले से ही परेशान हैं।

खान ने कहा कि इस विधेयक से सबसे ज्यादा पीड़ित महिलाएं होंगी। उन्होंने कहा कि आबादी पर नियंत्रण के लिए लोगों को दंडित करने के बदले सुविधाएं बढ़ाने और महिलाओं को अधिकार संपन्न बनाने की जरूरत है। भाजपा के महेश पोद्दार ने कहा कि आबादी पर नियंत्रण से संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म विशेष को ध्यान में रखकर नहीं लाया गया है बल्कि सभी लोगों की समस्याएं एक समान हैं।

बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का सीधा संबंध विकास से है। वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सदस्य वी शिवदासन ने कहा कि शिक्षा पर परिव्यय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.22 प्रतिशत प्रस्तावित है जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए परिव्यय सिर्फ 0.17 प्रतिशत प्रस्तावित किया गया है। इस निजी विधेयक पर चर्चा अधूरी रही।

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