न्यूज़ डेस्क: मतदाता सूची एवं पहचान पत्र को आधार से जोडऩे से संबंधित विधेयक के लोकसभा से पारित होने की आलोचना करते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यदि यह कानून बन जाता है तो इससे मतदाओं की निजता से समझौता होगा। विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच लोकसभा ने सोमवार को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान कर दी। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिये संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की।
बाद में एक बयान में तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता सुखेंदु शेखर राय ने दावा किया कि न तो इस इस विधेयक को विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति द्वारा जांचा-परखा गया है और न ही सरकार को पुतुस्वामी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोक में ऐसा कानून बनाने की विधायी समर्थता है। उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड के उपयोग की सीमा सीमित कर दी थी।
उन्होंने कहा कि एक बार यह कानून लागू हो गया तो इससे मतदाताओं को निजता के साथ समझौता होगा और असली मतदाताओं के बाहर रह जाने की भी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि सब कुछ आनन-फानन में किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘जिस तरह से संसद को छला गया है उसकी तृणमूल कांगेस ङ्क्षनदा करती है और वह कल इस विधेयक का जबर्दस्त विरोध करेगी। वह मांग कर रही है कि इस मामले को प्रवर समिति के पास भेजा जाए। ’’
चुनावी सुधार विधेयक को राज्यसभा में ध्वस्त होने का विरोध करे विपक्ष: माकपा
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को कहा कि विपक्षी दलों को, राज्यसभा में चुनावी सुधार विधेयक का दमन होने का डटकर विरोध करना चाहिए। माकपा ने कहा कि विपक्ष को एक संसदीय चयन समिति द्वारा विधेयक की पूरी जांच करने की मांग करनी चाहिए।
मतदाता सूची को आधार से जोडऩे वाला एक विधेयक सोमवार को लोकसभा से पारित किया गया। इस दौरान विपक्ष ने कई मुद्दों को लेकर सदन में हंगामा किया। माकपा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, विधेयक से मत और मतदाता दोनों की गोपनीयता को खतरा है।’’ बयान में कहा गया कि जिस तरह से जल्दबाजी में लोकसभा में पेश कर, मतदान के कानूनों में बदलाव किये जा रहे हैं उसकी माकपा पोलित ब्यूरो भत्र्सना करता है। पार्टी ने कहा कि सांसदों को चर्चा के लिए समय नहीं दिया जा रहा है।